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“स्वच्छता के लिए एक आदर्श: करौली का चैंपियन”

ये पंक्तियाँ हमारी कहानी के नायक ब्रजमोहन चौधरी पुत्र गिरिराज सिंह चौधरी पटेल, ग्राम पंचायत सनेट, प्रखंड (पंचायत समिति)-श्री महावीर जी, जिला-करौली राजस्थान की विशेषता है। इन्होंने दिव्यंगजन  होते हुए भी एनएसई फाउंडेशन के सहयोग से फिनिश सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे, स्वच्छ सनेट कार्यक्रम के स्वच्छता के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कभी भी अपनी शारीरिक दुर्बलताओं को अपने लक्ष्य के आड़े नहीं आने दिया। अपनी तिपहिया साइकिल से लैस होकर, उन्होंने अपने गाँव को स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाने के लिए एक स्व-प्रेरित पहल शुरू की, उन्होंने बिना किसी के समर्थन के व्यक्तिगत रूप से अपना अभियान शुरू किया। लोगो से ताने सुनकर और अपमान झेलकर भी एक स्वच्छ सनेट के प्रति इनका स्वप्न ही था, जिसने इन्हें अपने लक्ष्य डिगने नहीं दिया और यहां तक कि ग्रामीणों को अपनी सोच बदलने के लिए प्रेरित भी किया। उनके उत्साह और हार न मानने वाले जज्बे ने ही ग्राम पंचायत के लिए कचरा प्रबंधन कार्यक्रम शुरू करने का रास्ता साफ किया। बृजमोहन चौधरी का जन्म 1978 में हुआ था और वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता उस समय गाँव के मुखिया थे। बृजमोहन जी जन्म से दिव्यंग थे, उस समय मे गाँव के आस पास इनके इलाज के लिए बहुत अधिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इसलिए इनके पिता ने मुंबई और कोलकाता में इलाज करवाया। उस दौरान इनके परिवार ने इनके इलाज के लिए 6 एकड़ जमीन और 5 किलो चांदी तक बेची थी। जब वह 8 साल के थे तो डॉक्टर ने साफ कह दिया कि अब सफलता की उम्मीद बहुत कम है। जब इनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो 1994 में परिजनों ने इलाज बंद कर दिया।

“हमारे इस जन्म की परिस्थितिया हमारे पूर्व जन्म के कर्मों पर निर्भर करती हैं, इसलिए अपने जीवन में अच्छे कर्म करते रहने चाहिए, ताकि आपको जीवन के कठिन दौर मे भी साहस मिले, कभी किसी को चोट मत पहुँचाओ”

बृजमोहन को अपनी प्रमुख प्रेरणा अपने पिता से मिली, एक बार इनके पिता ने एक रात के खाने के दौरान इन्हे और इनके भाइयों और बहनों से कहा कि- यही वह क्षण था जब बृजमोहन जी ने निश्चय किया कि, वे अपना जीवन जनसेवा में समर्पित कर यथासम्भव दूसरों की मदद करेंगे। उस समय वह भगवान की पूजा करने लगे और हारमोनियम बजाना भी सीखा। उस दिन से लेकर आज तक वह रोज मंदिर जाते हैं, भगवान से कामना करते है की सबको सद्बुद्धि मिले। ऐसी ही एक पूजा के दौरान उनके मन में एक विचार आया कि वे सामाजिक कार्य करें ताकि वे लोगों की सेवा कर सकें, लेकिन कहीं न कहीं उनकी अक्षमता आड़े आ रही थी। कुछ समय के लिए वह मथुरा चले गये और लगभग 2 साल बाद सनेट लौटे। इस ग्राम पंचायत मे सभी जाति व धर्म के लोग प्रेम व सौहार्द के साथ निवास करते हैं। गाँव की आबादी लगभग 15000 है और गाँव के कई पुरुष किसी न किसी नशे के आदि थे। मथुरा से लौट कर बृजमोहन जी ने अपने गाँव में एक अभियान चलाया जिसमें उन्होंने लोगों को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताना शुरू किया और गाँव को नशा मुक्त करने का संकल्प लिया। बृजमोहन को सकारात्मक परिणाम मिले जिसने उन्हें और ऊर्जा दी। इस बीच जब एनएसई फाउंडेशन और फिनिश सोसाइटी की टीम ने स्वच्छता कार्यक्रम के तहत गांव में पहल शुरू की तो इसके प्रस्ताव के लिए ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई और आगामी कार्य योजना का विवरण प्रस्तुत किया गया इस बैठक के बाद बृजमोहन जी इतने अधिक उत्साहित हुए की उन्होंने पूर्ण रूप से इस परियोजना मे शामिल होने का मन बना लिया। पहले तो जहा यह लग रहा था की  कि गीले और सूखे कचरे को अलग करना आसान काम नहीं है, गाँव के लोग यह समझेंगे की नहीं  लेकिन बृजमोहन जी के सहयोग से  कमियों और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, फिनिश सोसाइटी ने जब पहली बार गांव में नाइट चौपाल आयोजित की और ग्रामीणों को कचरे के नुकसान और कचरे के पृथक्करण और प्रबंधन के लाभों के बारे में समझाया, तब लोगों के उत्साह ने यह साबित कर दिया

Figure 1- बृजमोहन चौधरी
की सनेट गाँव शीघ्र ही स्वच्छ-सनेट होगा ,  इस रात्रि चौपाल मे सम्मिलित होने के बाद, बृजमोहन के सहयोग से कई रात्रि चौपाल, सामुदायिक बैठकें, आम सभा, स्कूल में बच्चों के साथ स्वच्छता संवाद, जन जागरूकता के लिए रैलियां, जन सहयोग से स्वच्छता अभियान, और समुदाय के बीच अन्य कई प्रकार के कार्यक्रम किए गए जिससे गांव में बदलाव आया है। इन सभी गतिविधियों के बाद जब गांव में वाहन द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण शुरू किया गया। बृजमोहन जी ने स्वेच्छा से डोर-टू-डोर संग्रह का पर्यवेक्षण किया, और कचरे के स्रोत पृथक्करण की निगरानी की और लोगों को प्रेरित भी किया। गांव की साफ-सफाई का आकलन करने के लिए फिनिश सोसायटी कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए संपूर्ण ग्राम पंचायत स्तर की ग्राम स्वच्छता समिति का गठन किया गया। उस कमेटी में सबकी सहमति से बृजमोहन को स्वच्छता समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन सभी कार्यक्रम गतिविधियों के दौरान जिला कलेक्टर श्री अंकित कुमार सिंह ने गांव का दौरा किया और गांव के स्वच्छता कार्यक्रम की सराहना की और बृजमोहन जी के प्रयासों के सम्मान में फूल भेंट कर बधाई दी. जिला कलक्टर ने उन्हें अपने साथ मंच पर बैठने का प्रस्ताव दिया और सम्मान स्वरूप बृजमोहन जी को अपने गले की माला उतार कर पहना दी। यह उनके लिए सबसे भावनात्मक क्षण था क्योंकि यही वह पल था जब उन्हें लगा कि उनका जीवन व्यर्थ नहीं है। बृजमोहन की कहानी समाज की भलाई के लिए एक प्रेरणा है